Indian Vastushastra

Indian Vastushastra

 

 

 

Overview

भारतीय वास्तुशास्त्र
प्राचीन भारतीय विद्याओं में अनेक ऐसी विद्याऐं है जिनका आज के तकनीकी व आर्थिक युग में महत्त्व अत्यधिक बढ गया है। जैसे योगशास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, भाषा विज्ञान इत्यादि। उसमें वास्तुशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। आज किसी भी प्रकार के निर्माण में वास्तुशास्त्र के नियमों को भी ध्यान में रखा जाता है, इसका कारण है कि प्राचीन वास्तुशास्त्र के अनुरूप निर्मित भवनादि में शुभ फलों को प्रत्यक्ष देखा गया है और वास्तुशास्त्र के मूल नियमों के विरुद्ध बने हुए भवनों में अशुभ प्रभावों का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा गया है। परन्तु आज जो वास्तुशास्त्र तीव्र गति से अपने पांव पसार रहा है वह शुद्ध रूप से भारतीय वास्तुशास्त्र के स्वरूप को प्रस्तुत नहीं कर रहा है। आज के अर्थप्रधान समय में वास्तुशास्त्र शास्त्रीय कम व्यावसायिक अधिक होता जा रहा है। अनेक काल्पनिक विधियों को जोडकर भारतीय वास्तुशास्त्र को विकृत किया जा रहा है। अतः इस पाठ्यक्रम की अत्यधिक आवश्यकता है। जिससे वास्तुशास्त्र को मूल भारतीय स्वरूप में ही प्रस्तुत किया जा सके।

Syllabus

COURSE LAYOUTWeek 1 : Introduction to Indian Vastushastra

Week 2: Various texts and scholars of Vastushastra

Week 3 : Vastu purusha, concept of Ayadi, various measurements in Vastu

Week 4 : Vastupadchakra, Introduction to Temple Architecture

Week 5 : Various styles and general theories of Temple architecture

Week 6 : Various traditions and foundation of temples

Week 7 : Tree palntation in vastu, vasturatnavali text, part-1

Week 8 :
Assignment-1   Week 9 : Brihadvastumala text, part-1, 2 & 3

Week 10 : Brihadvastumala text, part 4&5, Rooms configrations in house

Week 11 : Examples of Vastu perfect and adverse houses

Week 12 : Measurement techniques in Vastu, Roads near plot

Week 13 : City planning in Vastu, Configuration Vastu mandala

Week 14 : Deciding Door place and Fragile parts of Vastu

Week 15 : Assignment 2
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Taught by

Dr. Pravesh Vyas




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